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हिमालय दिवस 2018: असंवहनीय विकास और जलवायु परिवर्तन से खतरे में उत्तराखंडी प्रकृति-संस्कृति

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आइए  हिमालय दिवस 2018  के    अवसर पर अपने  उत्तराखंड में जल, वन, माटी की वर्तमान स्थिति  जानने का प्रयास करें।   बुंगीधार चौथान छायाचित्र साभार मनोज कंडारी, पोखरी   फेसबुक पेज  अन्य सभी चित्र स्रोत गूगल इंडिया  सूख रही है उत्तराखंड कि नदियां :- सितम्बर 2017 में नेचुरल रिसोर्स डाटा मैनेजमेंट सिस्टम ( एनआरडीएमएसा ) के उद्धरण से प्रकाशित एक रिपोर्ट के अनुसार कुमाऊ और गढ़वाल मंडल में प्रवाहित तमाम बड़ी नदियों की 332 सहायक नदियां सूखकर बरसाती नदियों में तब्दील को चुकी हैं। रिपोर्ट के मुताबिक नदियों की लंबाई सिकुड़ने के साथ उनका जलप्रवाह भी तेजी से घट रहा है। यदि सिमटती नदियों को पुनर्जीवन नहीं दिया गया तो भविष्य में इसके बहुत बड़े दुष्परिणाम सामने आएंगे। रिपोर्ट आगे चेताती है कि बरसात में बेशक नदियां खतरे के निशान से भी ऊपर बहती हों लेकिन सच यही है कि उत्तराखण्ड की जीवनदायनी नदियां अंदर ही अंदर खोखली होती जा रही हैं।   विशेषज्ञ कहते हैं कि 68 प्रतिशत भूभाग को संच