Posts

जल स्रोतों को पुनर्जीवित कर रहे पोखरी के युवा

Image
गांव में पानी की हुई कमी तो जल स्रोतों के संरक्षण में जुटे प्रवासी  गांव के साथ साथ पशुओं के जलस्रोतों का भी कर रहे उद्धार  चौथान समाचार शनिवार 30 मई 2020  चौथान के पोखरी गावं में लौटे प्रवासी निरंतर गांव में स्वच्छता अभियान और जल स्रोतों के संरक्षण का कार्य कर रहे हैं।  लॉकडाउन के चलते गावं में एकांतवास में रह रहे और एकांतवास की अवधि पूरी कर चुके युवाओं की टीम तत्परता से गांव हित के कार्यों में  लगी   है ।   पिछले सप्ताह भी युवाओं ने प्राथमिक विद्यालय में साफ़ सफाई और फूलों की क्यारी बनाने का कार्य किया था।  इस दौरान गरमी बढ़ने में साथ गांव में पेयजल किल्लत का सामना करना पड़ा। जिसके लिए ग्रामीणों ने प्रशासन और पेयजल विभाग से निराकरण की गुहार लगाई। फिलहाल इस दिशा में विभागीय पहल जारी है।   पर घटना से सबक लेकर प्रवासी युवाओं ने गॉंव के प्राकृतिक जल स्रोतों को संरक्षित करने की ठानी। विभागीय जल आपूर्ति पर आश्रिता बढ़ने के चलते ये परम्परागत जल स्रोत उपेक्षा का शिकार हो रहे थे।   पहले युवाओं ने गांव के पुराने पन्यारे की साफ़ सफाई कर उसे उपय

उत्तराखंड: एकांतवास में स्कूलों का कायाकल्प करने में जुटे चौथान के युवा

Image
चौथान समाचार 23 मई 2020 चौथान पट्टी में एकांतवास बिता रहे युवा अपने गावों में प्राथिमक विद्यालयों की   दशा सुधारने के लिए विभिन्न प्रयास कर रहे हैं।   श्रमदान में किये गए इन कार्यों में विद्यालयों की साफ़ , सफाई , चार दीवारियों का रखरखाव , पौधारोपण , फूलों की क्यारियों की सजावट सहित शौचालय व्यवस्था दुरुस्त करना भी शामिल है। 1 मासों-मासों के प्राथमिक विद्यालय में एकांतवास के दौरान युवाओं ने साफ़ सफाई की और फूलों की क्यारियां लगाई।   2 मंगरों- मंगरों गांव में प्राथमिक विद्यालय में एकांतवास बिता रहे वीर सिंह बिष्ट ने चारदीवारी को ठीक किया।   3. घीमंडिया  ( खोड़ा )- चौथान के घीमंडिया गांव में प्रवास से आये युवाओं ने बच्चों के लिए खेल का मैदान तैयार किया।   साथ में विद्यालय परिसर , कमरों की साफ़ सफाई की और बागीचे में फूलों के पौधों को रोपा।   https://twitter.com/jagatsi99871322/status/1260659129997070336 4. कफलगांव-   क

पहाड़ सा अडिग नारायण गुसाईं का हौसंला

Image
चौथान समाचार  शनिवार  04 अप्रैल 2020  लीये सपने निगाहों में.......चला हूँ तेरी राहों में,.... जिंदगी आ रहा हूँ मैं......  परदेश से पहाड़ में जाने का सपना देखने वाला हर एक उत्तराखंडी इस गीत में सुकून और जुनून दोनों पाता है।   सच है दोस्तों पहाड़ पलायन किस्सा भी अब एक अजीब दास्ताँ जैसा है। कुछ कुछ शादी के लड्डू जैसा। जो परदेश में इसको झेल रहे हैं उनके लिए एक दुःस्वप्न बन गया है और जिन्होंने ये लड्डू नहीं खाया उनके लिए हसीन ख्वाब की तरह है।    एक ओर परदेश में विषम हालातों से जूझ रहे हज़ारों उत्तराखंडी अपने पहाड़ आने का सपना संजोएं हैं तो दूसरी ओर बड़ी संख्या में उत्तराखंडी हर साल पहाड़ पलायन कर रहे हैं।   घर वापसी की बात सोचने, कहने वालों की संख्या बहुत है। पर चंद लोग ही शहर के मायाजाल से बचकर वापस आते हैं। यहाँ पर टिकने और सफल होने वालों की संख्या तो ऊँगली में गिन सकते हैं। और ऐसे ही एक विरले इंसान का नाम है..... नारायण सिंह गुसाईं।  अपनी चौथान पट्टी के नारायण सिंह गुसाईं, भरनों गांव से हैं। बड़ा परिवार, निर्धनता, पारिवारिक जिम्मेदारी जैसी मजबूरी जो अधिकतर प

डबल इंजन की सरकार का सच; 4 साल में नहीं बन पाई 2 किलोमीटर सड़क

Image
चौथान समाचार 09 मार्च 2020 पट्टी चौथान का स्यूंसाल गांव आज भी सड़क सुविधा से वंचित है। वर्ष 2015-16 में मेरा गांव मेरी सड़क योजना के तहत गांव को को सड़क से जोड़ने के लिए  2  किलोमीटर सीसी रोड का निर्माण शुरू हुआ था।  35 लाख रूपये की इस लिंक रोड को मनेरगा के अंतर्गत बनाया जाना था। बजट तो पूरा हो गया है पर आज दिन इस लिंक रोड का निर्माण अधूरा पड़ा है। हालत ये है कि कोई भी गाड़ी इस रोड पर नहीं चली है पर यह जगह जगह से टूट चुकी है। कुल मिलाकर सरकारी धन बर्बाद हो गया और गांव वालों को कोई सुविधा नहीं मिली।  इस मार्ग के निर्माण के लिए गड़ीगांव पंचायत क्षेत्र से सैकड़ों बांज के हरे भरे पेड़ों को भी काटा गया था।   सिपाहियों, शहीदों का गांव, पलायन की चपेट में  स्यूंसाल शहीदों और सिपाहियों का गांव  है। इसकी आबादी लगभग 250 है। गांव में जहाँ 10 से ज्यादा भूतपूर्व सैनिक परिवार हैं वहीँ 6 जवान आज भी देश सेवा में तैनात हैं। स्यूंसाल गांव से ही दो जवान शहीद भी हुए हैं। 1987 में  ऑपरेशन पवन के दौरान गांव के त्रिलोक सिंह बिष्ट वीर गति को प्राप्त हुए थे और फरवरी 2016 में गांव से गढ़