उत्तराखंड: एकांतवास में स्कूलों का कायाकल्प करने में जुटे चौथान के युवा
चौथान
समाचार 23 मई 2020
चौथान
पट्टी में एकांतवास बिता रहे युवा अपने गावों में प्राथिमक विद्यालयों की दशा
सुधारने के लिए विभिन्न
प्रयास कर रहे हैं। श्रमदान
में किये गए इन कार्यों
में विद्यालयों की साफ़, सफाई,
चार दीवारियों का रखरखाव, पौधारोपण,
फूलों की क्यारियों की
सजावट सहित शौचालय व्यवस्था दुरुस्त करना भी शामिल है।
1 मासों-मासों
के प्राथमिक विद्यालय में एकांतवास के दौरान युवाओं
ने साफ़ सफाई की और फूलों
की क्यारियां लगाई।
2 मंगरों-
मंगरों गांव में प्राथमिक विद्यालय में एकांतवास बिता रहे वीर सिंह बिष्ट ने चारदीवारी को
ठीक किया।
3. घीमंडिया (खोड़ा)-
चौथान के घीमंडिया गांव
में प्रवास से आये युवाओं
ने बच्चों के लिए खेल
का मैदान तैयार किया। साथ
में विद्यालय परिसर, कमरों की साफ़ सफाई
की और बागीचे में
फूलों के पौधों को
रोपा।
4. कफलगांव- कफलगांव
के युवकों ने भी प्राथिमक
विद्यालय में श्रमदान करते हुए पौधरोपण किया।
5. शेरामांडे- शेरामान्डे के प्राथमिक
विद्यालय में भी युवाओं ने
सामूहिक श्रमदान कर साफ़ सफाई
की।
6. कांडई- कांडई
गांव में एकांतवास के दौरान युवा
स्वच्छता अभियान और शौचालय व्यवस्था
की कमी को दूर करने
के लिए अस्थायी गढ्डा शौचालय बना रहे हैं ताकि एकांतवास में रहने वाले खुले में शौच ना करें।
https://twitter.com/jagatsi99871322/status/1263114036037799936
7. बांकुड़ा- क्षेत्र
में बांकुड़ा गांव में भी युवाओं ने प्राथमिक विद्यालय
की दिवार को दोबारा बनाया।
यह दिवार जर्जर अवस्था के चलते गिर
गई थी।
8. पोखरी- इसी तरह पोखरी गांव के युवाओं ने भी गांव के सार्वजनिक पन्यारे के
आस पास लगी घास, झाड़ियों को साफ़ कर पेयजल स्रोत संरक्षण की ओर कदम बढ़ाया।
9. भरनों- क्षेत्र के भरनों गांव के युवा भी पीछे नहीं हैं। इन्होंने मिलकर प्राथमिक
विद्यालय में स्वच्छता अभियान चलाकर चमका दिया है। साथ में फूलों की क्यारियों
को भी निराई गुड़ाई और पौधे लगाकर चमका दिया है।
10. तल्ली डड़ोली- ऐसे ही तल्ली डड़ोली प्राथमिक विद्यालय में
एकांतवास बिता रहे युवकों के द्वारा पौधारोपण कार्य किया गया है। डंडाखील के
युवाओं द्वारा भी स्वच्छता अभियान चलाये जाने की सुचना मिली है।
12. जैंती:- इसी तरह चौथान के जैंती गाँव में एकांतवास में रह रहे युवाओं ने ना केवल विद्यालय परिसर की पूरी तरह साफ़ सफाई की है बल्कि एक पूरी तरह से गिर चुकी दिवार को भी श्रमदान से दुबारा खड़ा कर दिया है।
ये सभी युवा गांवों के स्कूलों में ही पढ़े हैं और नौकरी की तलाश में शहरों में चले गए थे। करोना के चलते इन्हें गांव वापस आना पड़ा और इसी बहाने विद्यालयों में श्रमदान करने का मौका मिला जिससे इन्हें बहुत ख़ुशी हो रही है।
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