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गढ़वाली जी की प्रेरणा से चौथान उत्थान में जुटेंगे युवा

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पेशवार क्रांति की 89बरसी पर गढ़वाली जी को किया याद गढ़वाल भवन दिल्ली में किया वीरता दिवस का आयोजन  आज भी बुनियादी जनसुविधाओं से वंचित है गढ़वाली जी की जन्मभूमि  चौथान समाचार  (24 April 2019)  पेशावर क्रांति की 89वीं  बरसी पर उनकी जन्मस्थली से जुडी वीर चन्द्र सिंह गढ़वाली चौथान विकास समिति ने दिल्ली गढ़वाल भवन में रविवार (21 अप्रैल 2019) वीरता दिवस का आयोजन किया।  इस सभा चौथान क्षेत्र से जुड़े युवाओं, उद्यमियों, समाजसेवियों ने हिस्सा लिया।   ठाकुर जैलोधसिंह के पुत्र गढ़वाली जी का जन्म 25 दिसम्बर 1891 को पौड़ी गढ़वाल के मासों(रोंसेरा) गांव में हुआ था। खराब पारिवारिक स्थिति की बजह से गढ़वाली जी ज्यादा शिक्षा नही ले पाये और 3 दिसम्बर 1914 को  प्रथम युद्ध के दौरान सेना में भर्ती हो गए। दो वर्षों के दौरान ब्रिटिश आर्मी की ओर से उन्होनें अपने गढ़वाली साथियों के साथ अनेक देशों का भ्रमण करते हुए वापस गढ़वाल लैंसडाउन पहुंचे जहाँ उनको हवलदार मेजर के पद पर चुना गया।   कुछ समय बाद आर्य समाज कार्यकर्ताओं के सम्पर्क में आने से उनके अंदर देशप्रेम भावना जाग उठी जो अंग्रेजों क

चौथान मांग पत्र: स्वास्थ्य, शिक्षा, रोजगार; देने वाली बने सरकार

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चौथान पट्टी , उत्तराखंड के पौड़ी गढ़वाल जिले का सीमान्त क्षेत्र है। सन 1890 में चौथान पट्टी का गठन चौपड़ाकोट को विभाजित करके हुआ है। 72 गांवों की यह पट्टी थैलीसैण तहसील के अंतर्गत आती है जोकि यहाँ का विकासखंड भी है। भूगौलिक तौर पर चौथान पट्टी नागचुलाखाल से चमोली तथा देघाट से अल्मोड़ा जिले से जुडी हुई है। वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार चौथान पट्टी की कुल जनसँख्या 13869 है। इस पट्टी का कुल क्षेत्रफल 6592. 337 हेक्टेयर है जिसमें से कुल 647. 279 हेक्टेयर वनाच्छादित है। यहाँ की कुल 1844. 494 हेक्टेयर भूमि पर कृषि कार्य होता है। कृषि भूमि का कुल 171.028 संचित है जबकि 1673.466 हेक्टेयर भूमि असिंचित है।   प्रशासनिक दृष्टि से बुंगीधार चौथान के केंद्र में है , जो कि विकासखंड से लगभग 50 किलोमीटर और जिला मुख्यालय से लगभग 125 किलोमीटर दूर पड़ता है। राजनितिक तौर चौथान में  29   ग्राम   प्रधान , 9 क्षेत्र पंचायत प्रतिनिधि और 1 जिला पंचायत प्रतिनिधि मतदान के म