चौथान मांग पत्र: स्वास्थ्य, शिक्षा, रोजगार; देने वाली बने सरकार




चौथान पट्टी, उत्तराखंड के पौड़ी गढ़वाल जिले का सीमान्त क्षेत्र है। सन 1890 में चौथान पट्टी का गठन चौपड़ाकोट को विभाजित करके हुआ है। 72 गांवों की यह पट्टी थैलीसैण तहसील के अंतर्गत आती है जोकि यहाँ का विकासखंड भी है। भूगौलिक तौर पर चौथान पट्टी नागचुलाखाल से चमोली तथा देघाट से अल्मोड़ा जिले से जुडी हुई है। वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार चौथान पट्टी की कुल जनसँख्या 13869 है। इस पट्टी का कुल क्षेत्रफल 6592. 337 हेक्टेयर है जिसमें से कुल 647. 279 हेक्टेयर वनाच्छादित है। यहाँ की कुल 1844. 494 हेक्टेयर भूमि पर कृषि कार्य होता है। कृषि भूमि का कुल 171.028 संचित है जबकि 1673.466 हेक्टेयर भूमि असिंचित है। 


प्रशासनिक दृष्टि से बुंगीधार चौथान के केंद्र में है, जो कि विकासखंड से लगभग 50 किलोमीटर और जिला मुख्यालय से लगभग 125 किलोमीटर दूर पड़ता है। राजनितिक तौर चौथान में  29  ग्राम  प्रधान, 9 क्षेत्र पंचायत प्रतिनिधि और 1 जिला पंचायत प्रतिनिधि मतदान के माध्यम से चुने जाते हैं।  दूधातोली आरक्षित वन क्षेत्र के आंचल में बसने के कारण, चौथान पट्टी वन और जल सम्पदा से समृद्ध है। बिंदेश्वर महादेव का प्राचीन मंदिर भी यहाँ स्थित है। चौथान पट्टी में स्थित, मासों गांव पेशावर क्रांति नायक वीर चन्द्र सिंह गढ़वाली की जन्मभूमि है। परन्तु यहाँ शिक्षा, चिकित्सा की जैसी बुनियादी सुविधाओं की स्थिति अत्यंत चिंताजनक है।  रोजगार अवसरों के अभाव के चलते, क्षेत्र से युवा शक्ति का पलायन भी एक गंभीर समस्या बन चुका है।

लोकसभा चुनाव 2019 के तहत चौथान के नारीशक्ति, निवासियों और युवाओं की स्वास्थ्य, शिक्षा और रोजगार तीन प्रमुख मांगे हैं।  ये मांगे क्यों महत्वपूर्ण और आवश्यक है, इसका संक्षिप्त विवरण निम्नलिखित है।  

बुनियादी सुविधाओं युक्त (कम से कम एक)  चिकित्सालय; अलग 108 सेवा बहाल होकहने को तो चौथान में तीन सरकारी आयुर्वेदिक औषधालय क्रमशः मासौं, बूंगीधार, वीरुधुनि और चार सरकारी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र उफरैंखाल, मासौं, बूंगीधार तथा वीरुधुनि है। परन्तु इन सभी औषधालयों  और स्वास्थ्य केंद्रों में चिकित्सकों, वैद्यों की कमी है। स्वास्थ्य केंद्रों के नाम पर केवल बिल्डिंग खड़ी है जो धीरे-धीरे खण्डहर होती जा रही हैं। औपचारिकता के नाम पर यदा कदा यहाँ एकाध चिकित्सकों की नियुक्ति की जाती है, जो एक-दो महीने वहां रुकने के उपरांत विभिन्न कारणों से चले जाते हैं। कुछ वेतन ना मिलना का कारण बताते हैं , कुछ सुविधाओं का अभाव तो कुछ की अन्यत्र स्थानों पर नियुक्ति कर दी जाती है। ऐसे भी सूचना मिलती है कि चिकित्सक की नियुक्ति तो चौथान में हुई है परंतु वह सेवाएं अन्यत्र स्थानों पर दे रहे हैं। कुल मिलाकर चौथान में सभी सरकारी सेवाएं ठप्प पड़ी हुई हैं और हॉस्पिटल बाँझ पड़ गए हैं। 



चिकित्सकों की कमी के अलावा स्वास्थ्य केंद्रों में कंपाउंडर, फार्मेसिस्ट, स्त्री चिकित्सक, प्रशिक्षित नर्स और संबंधित कर्मचारियों की भारी कमी है। साथ में स्वास्थ्य उपकरणों, दवाइयों, रक्त जांच, एक्स-रे, प्लास्टर आदि सुविधाएं नहीं मिलती है जिस कारण चौथान निवासी अत्यंत परेशान हैं। आपातकाल स्थिति में मरीजों और उनके परिजनों को बड़ी कठिनाइयों से गुजर कर और बहुत ज्यादा निजी खर्चा करके मरीज को मैदानी क्षेत्रों में ले जाना पड़ता है। सबसे चिंताजनक बात ये है कि 108 एंबुलेंस की सुविधा भी अत्यधिक लचर है। पिछले चार-पांच वर्षो में 108 एंबुलेंस की सुविधाओं और प्राथमिक स्तर पर समुचित चिकित्सा नहीं मिलने के कारण एक दर्जन के लगभग महिला प्रसूतियों जच्चा-बच्चा को बहुत जोखिम उठाना पड़ा है कई मामलों में जच्चा या बच्चा की मृत्यु भी हुई है। आपातकाल की स्थिति बड़ी कष्टकारी होती है और पीड़ित अथवा जख्मी व्यक्ति की जान खतरे में पड़ जाती है।

जनप्रतिनिधियों और वीर चन्द्र सिंह गढ़वाली चौथान विकास समिति (पंजी.) के सतत प्रयासों से जनवरी 2019 में सांसद महोदय मेजर जनरल भुवन चंद्र खंडूड़ी ने चौथान के लिए एम्बुलेंस स्वीकृति कर दी गयी है जिसका चौथानवासी बेसब्री से इंतज़ार कर रहें है। अब चौथानवासियों खासकर मातृशक्ति, बच्चों और बुजर्गों की एक ही मांग है की चौथान (बूंगीधार) में सम्पूर्ण सुविधाओं वाला कम से कम एक चिकित्सालय सुचारु तौर पर सक्रिय स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान करें।  इस चिकित्सालय में चिकित्सक, महिला चिकित्सक, नर्स, कम्पाउंडर समेत आवश्यक चिकित्सा उपकरण, दवाई, एक्सरे, प्लास्टर, रक्त जाँच सुविधा, बिजली, पानी की व्यवस्था इत्यादि बुनियादी सुविधाएँ उपलब्ध हो।

2. सैनिक स्कूल खोला जाये, विश्विद्यालय भवन का निर्माण होशिक्षकों के रिक्त पद भरें जाएँ:- अलग राज्य बनने के 18 वर्षों उपरांत भी चौथान में आधारभूत शिक्षा सुविधाओं की कमी है। वैसे तो सभी गांव में आंगनवाड़ी केंद्र, प्राथमिक विद्यालय खुले हैं और माध्यमिक विद्यालयों की संख्या भी बढ़ी है। परंतु सभी स्तर पर शिक्षा की गुणवत्ता और शिक्षकों की भारी कमी चौथानवासियों के लिए चिंता का विषय है।  चौथान में कुल मिलाकर 6 राजकीय इंटर कॉलेज है जिनमें 2500 के करीब छात्र छात्राएं अध्ययनरत  हैं।  ये इंटर कॉलेज मासौं, उफरैंखाल,  बूंगीधार, कल्याणखाल, कठूड़खाल, तथा बसाणी में स्थित हैं। सभी इंटर कॉलेजों को मिलाकर प्रोफेसरों और प्राध्यापकों के लगभग 50 प्रतिशत से अधिक पद रिक्त पड़े हैं। 

जहां प्राथमिक विद्यालयों में शिक्षा की अच्छी गुणवत्ता नहीं होने के कारण विद्यार्थियों की संख्या साल-दर-साल घटती जा रही है, वहीं माध्यमिक एवं उच्च स्तर पर शिक्षकों की कमी, पारिवारिक दायित्व और आर्थिक उपार्जन के कारणों के चलते छात्रों की संख्या कम हो रही है। 10वीं 12वीं की बोर्ड परीक्षाओं में हो रही व्यवस्था नक़ल की प्रथा भी शिक्षा गुणवत्ता की साख पर प्रश्नचिन्ह है। 



स्नातक स्तर पर चौथान में मात्र दो कमरों का एक महाविद्यालय उफरैंखाल में है और बहुत कम संख्या में छात्र स्नातक स्तर पर पहुंच रहे हैं।  स्नातक शिक्षा के लिए अधिकतर छात्रों को थलीसैंण विकासखंड अथवा श्रीनगर महाविद्यालय पर आश्रित रहना पड़ता है जो कि पहाड़ी परिवेश में लड़कियों की शिक्षा में बहुत बड़ी बाधा है। अच्छी स्नातक शिक्षा के लिए भी चौथान से छात्र-छात्राओं को अपनी जन्मभूमि और अपने राज्य से बाहर भी जाना पड़ता है। तकनीकी शिक्षा के नाम पर हाल ही में चौथान में केवल एक आई टी आई रिक्साल गांव में खुली है। लेकिन वहां भी सुविधाओं का बहुत अभाव है और क्षेत्रवासियों को इसका कुछ विशेष लाभ नहीं मिल पा रहा है।

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वीं सदी में यह बहुत बड़ी विडंबना है कि, घरेलू कार्यों खेती-बाड़ी के कामों और पशुपालन के कामों के कारण चौथान में कन्याओं की शिक्षा अधूरी रह जाती है और दसवीं की परीक्षा उपरांत स्कूलों में बालिकाओं की संख्या में बहुत ज्यादा कमी जाती है। साथ में विद्यालयों में महिला शिक्षकों की कमी के कारण भी बालिकाएं संपूर्ण शिक्षा के अधिकार से वंचित रह जाती हैं। इन सब कारणों का परिणाम यह होता है कि चौथान से बड़ी संख्या में होनहार और काबिल छात्र-छात्राएं राज्य और देश स्तर पर प्रशासनिक सेवाओं की तैयारी नहीं कर पाते हैं और उच्च प्रशासनिक पदों पर नहीं पहुंच पाते हैं। पिछले लोकसभा चुनाव से पूर्व भारतीय जनता पार्टी ने पीठसैण में सैनिक विद्यालय खोलने की घोषणा की थी। बाद में केंद्रीय विद्यालय बनाने की बातें हुई।  परन्तु पांच साल बीत जाने के बाद भी ये घोषणा धरातल से कोसों दूर है।   

चौथानवासियों की मांग है कि प्राथमिक माध्यमिक स्तर की शिक्षा गुणवत्ता में सुधार हो। राजकीय इंटर कॉलेजों में शिक्षकों के रिक्त पद भरे जाएँ। बालिकाओं की शिक्षा बढ़ाने के लिए प्रभावी कदम उठाये जाएँ। चौथान में स्नातक स्तर की शिक्षा के लिए विश्विद्यालय भवन का निर्माण हो और प्रवक्ताओं की नियुक्ति हो। रिक्साल स्थित आईटीआई को सुचारु तौर पर चलाया जाये। पीठसैण में सैनिक विद्यालय जल्द से जल्द खोला जाये।  

3 रोजगार दो, नशा और पलायन नहीं:- उत्तराखंड ग्राम्य विकास एवं पलायन आयोग द्वारा 2011 की संख्यांकी उपरांत 7 वर्षों तक चले अध्ययन से पता चला है कि उत्तराखंड में 16500 गॉवों में से 734 गांव पूरी तरह खाली हो गए हैं। पलायन से पौड़ी जिला सबसे अधिक प्रभावित है जहाँ 298 में से 186 गांव निर्जन हो गए हैं। आयोग की रिपोर्ट में चौंकाने वाला तथ्य यह है कि जिले के थैलीसैंण ब्लॉक में +5.36 प्रतिशत की दर से जनसंख्या में बढ़ोत्तरी दर्ज की गई है। 

शिक्षा, स्वास्थ्य की दुर्दशा के बावजूद यहाँ के निवासी कम पलायन कर रहें हैं। आज भी अधिकांश ग्रामीण खेती बाड़ी से अपनी गुजर बसर कर रहें हैं। यहाँ शिक्षा, चिकित्सा की स्थिति में सुधार हो तो हाल में पलायन कर चुकी युवाशक्ति वापस आना चाहती है। साथ में चौथान में यदि रोजगार के अवसर उपलब्ध कराएं जाएँ तो आने वाली युवा पीढ़ी भी पलायन ना कर यहीं बसना चाहती है। परन्तु विडम्बना है कि रोजगार के स्थान सरकार का ध्यान शराब कारोबार और ठेका खोलने पर है जिससे लोगों में नशे की लत बढ़ रही है। अवैध शराब कारोबार पर भी सरकार नियंत्रण करने में विफल है।  



चौथान की प्राकृतिक सम्पदा और मेहनतक़श लोगों को देखते हुए वन आधारित (पर्यटन, कष्टकारी, जड़ी बूटीकृषि आधारति (जैविक खेती, बागबानी, सब्जीखेती, फूलों की खेती, मधुमक्खी पालन, पशुपालन अदिलघुकुटीर (सिलाई, कढ़ाई, बुनाई, बेकरी)  योजनाओं के माध्यम से रोजगार सर्जन के पर्याप्त अवसर मौजूद हैं बस राजनितिक इच्छाशक्ति का आभाव है। साथ में यहाँ प्रशासनिक सेवा, भाषा विज्ञान, संगीत कला, कंप्यूटर प्रशिक्षण सम्बन्धी शिक्षण संस्थान के माध्यम से युवाओं को उच्च स्तरीय रोजगार के लिए प्रशिक्षण दिया जा सकता है।  

4 थैलीसैंण के स्थान पर बूंगीधार से मिले प्रशासनिक सेवाएं:- थैलीसैंण विकासखंड चौथान के केंद्र बूंगीधार से लगभग 50 किलोमीटर दूर स्थित है। अधिकांश छोटे बड़े कामों को लिए यहाँ के निवासियों को थैलीसैंण जाना पड़ता है है जिसमें समय और धन की खपत होती है। बुजर्गों, महिलाओं और बच्चों के लिए यह यात्रा बड़ी असुविधाजनक होती है। वैसे भी चौथान पट्टी सीमान्त इलाके में होने के कारण अनेकों जनलाभकारी योजनाओं के लाभ से वंचित रह जाती है।  



सत्ता के विकेन्द्रीकरण ही बेहतर जनसुविधा और प्रजातंत्र का असली मापदंड है। अतः समिति की मांग है की सुचना क्रांति के युग में इस सामंती प्रथा को दूर किया जाये और बूंगीधार में प्रशासनिक सेवाओं का एक सक्रिय केंद्र खोला जाए जहाँ कम्प्यूटरीकृत तकनीक और प्रशासनिक कर्मचारियों के माध्यम से थलीसैंण यहाँ तक की पौड़ी से मिलने वाली सभी प्रकार की सेवाओंसभी प्रकार के प्रमाणपत्रों, दस्तावेजों, अभिलेखों का रिकॉर्ड रखा जाये और लोगों को आवश्यकता पड़ने पर उपलब्ध करायी जाए।  



5. फसलों को बचाएं जानवरों से और पर्यावरण को प्लास्टिक कचरे से:- चौथानवासी जंगली जानवरों के आतंक से बहुत परेशान हैं जो बड़ी मेहनत से उपजायी फसल को नष्ट कर देते हैं। यह समस्या पिछले कई सालों से उत्तरोत्तर बढ़ती जा रही है।  इसके निराकरण के लिए ठोस और प्रभावी कदम उठाने की जरूरत है। पागल झाड़ (मैक्सिकन डेविल जिसे काला बांसा भी कहा जाता है आज चौथान के अधिकांश भूभाग पर व्यापत हो गया है।  इस कारण स्थानीय वनस्पति विलुप्त होती जा रही है जिसमें अनेक प्रकार के औषधीय पादप और पुष्प भी शामिल है। धीरे धीरे चौथान में भारी मात्रा में प्लास्टिक कचरा जमा हो रहा है जिसके स्थानीय पर्यावरण और वन्यजीवों पर विपरीत प्रभाव हो रहा है। इन दोनों समस्याओं के बारे में प्रशासन, सरकार पूरी तरह अनभिज्ञ हैं।  

वीर चन्द्र सिंह गढ़वाली चौथान विकास समिति (पंजी.) के बारे में  

चौथान पट्टी में चहमुखी विकास के उद्देश्य को लेकर दिसंबर 2014 में वीर चन्द्र सिंह गढ़वाली चौथान विकास समिति का गठन किया गया।  चौथान के युवाओं के सपने, संघर्ष और सोच का साकार रूप है, यह समिति मातृभूमि चौथान में, शिक्षा, स्वास्थ्य की समुचित सुविधाओं को उपलब्धता हेतू प्रयासरत और उत्तराखंडी प्रकृति -संस्कृति  संरक्षण के उद्देश्यों को समर्पित है।  स्थानीय प्रशासन और जनता के सहयोग से समिति पिछले पांच वर्षों से चौथान में शिक्षा, चिकित्सा, सड़क, परिवहन की बुनियादी सुविधाओं को जुटाने और उनकी स्थिति में सुधार हेतु प्रयासरत है।

पहाड़ की नैसर्गिक प्रकृति को समझते हुए, समिति सरकार द्वारा प्रायोजित लघु एवं स्वरोजगार की योजनाओं का समर्थन करती है और पहाड़ से पलायन रोकने के लिए इन्हें बढ़ावा देने का हमेशा प्रयास करती है। अपने पांच वर्षों के कार्य अनुभवों का संकलन करते हुए, समिति ने "चौथान दर्पण" नामक स्मारिका तैयार की है। विस्मरणीय लेखों और विहंगम चलचित्रों के माध्यम से "चौथान दर्पण" अपने आप में चौथान की आधारभूत जानकारियों, महान विभूतियों की जीवनियों, समृद्ध सांस्कृतिक विरासत, सामाजिक जीवन, पर्यटक स्थलों, स्वरोजगार के विकल्पों , प्राकृतिक छटा की झलकियों को समेटे हुए है। 

चौथान घोषणा पत्र के बारे में 

चौथान घोषणा पत्र अपने आप में चौथान के युवाओं का प्रथम और अनूठा प्रयास है। भारत विश्व का सबसे बड़ा लोकतंत्र है। सक्रिय जागरूक जनता, सफल लोकतंत्र के केंद्र में हैं। इस घोषणा पत्र के माध्यम से चौथान की जनता, अपने सभी सांसद प्रतिनिधियों से सकारात्मक संवाद स्थापित कर रही है ताकि वे चौथान व  यहाँ की ज्वलंत समस्याओं से अवगत हो सकें और उनके निराकरण के लिए ठोस प्रस्ताव, योजना प्रस्तुत कर सके। समिति अपने क्षेत्र में ईमानदार उम्मीदवार को चुनने, शराब, नोट में अपना वोट ना बेचने  लिए भी जागरूकता अभियान चला रही है ताकि प्रजातंत्र की बुनियाद ईमानदारी के मतदान पर रखी जाए। 


जो दे स्वास्थ्य, शिक्षा, रोजगार; वो हमारे वोट का है हक़दार
चौथान की जनता करे पुकार; स्वास्थ्य, शिक्षा और रोजगार 

(Issued on 4 April 2019 by VCSGCVS Team)


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