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Showing posts from March, 2020

डबल इंजन की सरकार का सच; 4 साल में नहीं बन पाई 2 किलोमीटर सड़क

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चौथान समाचार 09 मार्च 2020 पट्टी चौथान का स्यूंसाल गांव आज भी सड़क सुविधा से वंचित है। वर्ष 2015-16 में मेरा गांव मेरी सड़क योजना के तहत गांव को को सड़क से जोड़ने के लिए  2  किलोमीटर सीसी रोड का निर्माण शुरू हुआ था।  35 लाख रूपये की इस लिंक रोड को मनेरगा के अंतर्गत बनाया जाना था। बजट तो पूरा हो गया है पर आज दिन इस लिंक रोड का निर्माण अधूरा पड़ा है। हालत ये है कि कोई भी गाड़ी इस रोड पर नहीं चली है पर यह जगह जगह से टूट चुकी है। कुल मिलाकर सरकारी धन बर्बाद हो गया और गांव वालों को कोई सुविधा नहीं मिली।  इस मार्ग के निर्माण के लिए गड़ीगांव पंचायत क्षेत्र से सैकड़ों बांज के हरे भरे पेड़ों को भी काटा गया था।   सिपाहियों, शहीदों का गांव, पलायन की चपेट में  स्यूंसाल शहीदों और सिपाहियों का गांव  है। इसकी आबादी लगभग 250 है। गांव में जहाँ 10 से ज्यादा भूतपूर्व सैनिक परिवार हैं वहीँ 6 जवान आज भी देश सेवा में तैनात हैं। स्यूंसाल गांव से ही दो जवान शहीद भी हुए हैं। 1987 में  ऑपरेशन पवन के दौरान गांव के त्रिलोक सिंह बिष्ट वीर गति को प्राप्त हुए थे और फरवरी 2016 में गांव से गढ़

दिल्ली दंगे: उत्तराखंड समाज भुला दिलबर को नहीं भूला पाएगा 

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चौथान समाचार 29 फरवरी 2020  ओ यूँ ना लम्हा लम्हा मेरी याद में होके तन्हा तन्हा मेरे बाद में नैना अश्क़ ना हो माना कल से होंगे हम दूर नैना अश्क़ ना हो नैना अश्क़ ना हो      28 फरवरी की शाम को निगम बोध घाट, दिल्ली पर बड़ा गमगीन माहौल था, जब उत्तराखंड समाज द्वारा सामूहिक तौर पर दिलबर नेगी का अंतिम संस्कार किया गया।  दिलबर नेगी 24 फरवरी की रात को पूर्वी दिल्ली में भड़के हिसंक दंगों में जान गँवा बैठे।   लगभग 19 वर्षीय दिलबर नेगी पौड़ी गढ़वाल जिले के थैलीसैंण ब्लॉक, तहसील चकिसैंण के अंतर्गत आने वाले रोखड़ा गांव के निवासी थे। दिलबर के पिता का नाम गोविन्द सिंह नेगी है। दिलबर के अलावा परिवार में दो भाई एक बड़ा और एक छोटा और तीन बहनें हैं जिनमें से दो बहनों की शादी हो गयी है। परिवार की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं है और पिता  जी का स्वास्थ्य भी ख़राब रहता है। इसी के चलते बड़ा भाई देवेंद्र सिंह नेगी बहुत पहले से ही गाजियाबाद में निजी क्षेत्र में काम करने लगा। लगभग सात माह पूर्व दिलबर और उसका छोटा भाई भी बाहरवीं की परीक्षा उपरांत रोजी रोटी कमाने दिल्ली आ गए।  यहाँ दिलबर नेगी