जल स्रोतों को पुनर्जीवित कर रहे पोखरी के युवा




गांव में पानी की हुई कमी तो जल स्रोतों के संरक्षण में जुटे प्रवासी 

गांव के साथ साथ पशुओं के जलस्रोतों का भी कर रहे उद्धार 


चौथान समाचार शनिवार 30 मई 2020 


चौथान के पोखरी गावं में लौटे प्रवासी निरंतर गांव में स्वच्छता अभियान और जल स्रोतों के संरक्षण का कार्य कर रहे हैं।  लॉकडाउन के चलते गावं में एकांतवास में रह रहे और एकांतवास की अवधि पूरी कर चुके युवाओं की टीम तत्परता से गांव हित के कार्यों में लगी  है।  



पिछले सप्ताह भी युवाओं ने प्राथमिक विद्यालय में साफ़ सफाई और फूलों की क्यारी बनाने का कार्य किया था।  इस दौरान गरमी बढ़ने में साथ गांव में पेयजल किल्लत का सामना करना पड़ा। जिसके लिए ग्रामीणों ने प्रशासन और पेयजल विभाग से निराकरण की गुहार लगाई। फिलहाल इस दिशा में विभागीय पहल जारी है।  



पर घटना से सबक लेकर प्रवासी युवाओं ने गॉंव के प्राकृतिक जल स्रोतों को संरक्षित करने की ठानी। विभागीय जल आपूर्ति पर आश्रिता बढ़ने के चलते ये परम्परागत जल स्रोत उपेक्षा का शिकार हो रहे थे।  



पहले युवाओं ने गांव के पुराने पन्यारे की साफ़ सफाई कर उसे उपयोग लायक बनाया। फिर उनका ध्यान गाद मट्टी और झाड़ झंखाड़ से भर चुके पशुओं की चरी पर गया।  युवाओं की टीम एक जुट हुई और चरी की भी पूरी सफाई कर डाली। जिसमें जल्द से प्राकृतिक जल स्रोत से पानी भर जायेगा।  



युवाओं का कहना है की जल खपत के बढ़ने और प्राकृतिक जल स्रोतों की अवेहलना से ग्रामीण इलाकों में भी जल संकट बढ़ रहा है। पर सामूहिक श्रमदान और समझदारी से प्राकृतिक और परम्परागत जल स्रोतों का संरक्षण कर इसका समाधान आसानी से निकाला जा सकता है।  



फिलहाल गांव के लिए दूर से नई पेयजल लाइन बनाने का प्रस्ताव है पर युवाओं ने दिखाया है कि टिकाऊ, सुलभ समाधान तो पन्यारे की पुरानी परम्परा को जीवित करने में ही है। 




पन्यारे संरक्षण के क्रमानुसार छायाचित्र 








गौरतलब है कि इसी तरह क्षेत्र में वीर चंद्र सिंह गढ़वाली चौथान विकास समिति से जुड़े दर्ज़नों गांवों में प्रवास से लौटे एकांतवास बिता रहे सैकड़ों युवाओं विद्यालयों में स्वच्छता, पौधारोपण, दिवार निर्माण, फुलवारी जैसे अनेक सृजनात्मक और सकारात्मक कार्यों में लगे हुए हैं।  समीति का शुरू से ही मानना है कि युवा शक्ति ही पहाड़ की दिशा और दशा बदल सकती है। 


पोखरी गांव में स्वच्छता, जल संरक्षण कार्य करने में आनंद मणि पोखरियाल, विवेक काला, हेमंत काला, ईश्वर दत्त, पितांबर दत्त, विजय नंद, राज कंडारी, विनोद कंडारी, मुकेश कंडारी आदि युवा जुटे हैं। 




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