गढ़वाल भवन में मनाया गया चौथान मिलन समारोह


चौथान पट्टी पर आधारित प्रथम स्मारिका का हुआ विमोचन 
एक दिवसीय कार्यक्रम में दिल्ली, गढ़वाल, देहरादून, चंडीगढ़ से शामिल हुए चौथानवासी 
रंगारम उत्तराखंडी सांस्कृतिक कार्यक्रम पर देर तक झूमते रहे दर्शक 

दिनांक रविवार 21 अक्टूबर 2018, स्थान गढ़वाल भवन, पंचकुइआं रोड, दिल्ली , समय प्रातः 11:00 से शाम 06:00 

आज गढ़वाल भवन, दिल्ली में वीर चन्द्र सिंह गढ़वाली चौथान विकास समिति (पंजीकृत) द्वारा "चौथान मिलन" समारोह का आयोजन किया गया। इस एक दिवसीय कार्यक्रम के अवसर पर दिल्ली में रहने वाले चौथानवासी बड़ी संख्या में एकजूट हुए।  कार्यक्रम में चौथान, गढ़वाल, देहरादून, चंडीगढ़ और देश के अनेक स्थानों से चौथानवासी भी शामिल हुए।  


समारोह का शुभआरम्भ बिनसर महादेव की आरती से किया गया।  इसके उपरांत, तालियों की गड़गड़ाहट के बीच समिति के संरक्षक महोदय श्री बासवानन्द ढौंढियाल जी द्वारा दीप प्रज्वलित कर पेशावर क्रांति नायक वीर चन्द्र सिंह गढ़वाली जी को श्रद्धांजलि अर्पित की गई। अपने स्वागत अभिभाषण में श्री ढौंडियाल जी ने उपस्थित गणमान्य अतिथियों का अभिनन्दन किया। समिति कार्यकारणी का परिचय कराते हुए, उन्होंने समिति के उद्देश्यों, कार्यों और उपलब्धियों से सबको अवगत कराया।  

इसके बाद उत्तराखंड से सामाजिक, राजनितिक, कला, सिनेमा और साहित्य जगत के जाने माने व्यक्तित्व मीनाक्षी बड़थ्वाल आचार्य, प्रदीप कुमार वेदवाल, मनजीत नेगी, अनू पंत और समिति की गणमान्य सदस्यों की उपस्थिति में मुख्य अतिथि समाजसेवी श्री महेश चंद्र काला जी और उद्यमी श्री प्रीतम बिष्ट द्वारा "चौथान दर्पण" स्मारिका का विमोचन किया गया। 


पौड़ी गढ़वाल, उत्तराखंड में स्थित चौथान पट्टी के निवासियों के सामाजिक जीवन, सांस्कृतिक रीति रिवाजों, धार्मिक स्थलों और प्राकृतिक धरोहरों  की महत्वपूर्ण जानकारी समेटे हुए, यह पत्रिका क्षेत्र का प्रथम लिखित दस्तावेज है। उल्लेखनीय बात यह है की स्मारिका की रचना चौथान के युवाओं ने स्वयं की है। अपनी मातृभूमि से बिछड़ने की पीड़ा का भी युवाओं ने विस्तार से वर्णन किया है।  



समारोह को आगे बढ़ाते हुए, वक्ताओं ने उत्तराखंड में स्वास्थ्य, शिक्षा और रोजगार की बुनियादी सुविधाओं को जुटाने पर भी अपने अपने अहम विचार रखे। ताकि पहाड़ से पलायन की प्रथा, पहाड़ को पलायन में बदल सके। 




इस अवसर पर समिति की ओर से वीर चन्द्र सिंह गढ़वाली के परिजन विमला देवी जी को 11 हजार रुपये और चौथान के बांकुड़ा गांव से स्वर्गीय लीलाधर जोशी के परिजनों को पांच हज़ार की सहयोग राशि भेंट की गयी। समिति द्वारा उत्तराखंडी संस्थाओं और गणमान्य अतिथियों को भी स्मृति चिन्ह प्रदान कर सम्मानित किया। समारोह में एक जापानी उद्यमी तेकेदा केंतारो जो पहाड़ में सोया प्लांट स्थापित करने जा रहे हैं, ने भाग लिया और उत्तराखंडी संस्कृति और अतिथि सत्कार से अभिभूत हो गए।   


इसके उपरांत सांस्कृतिक सचिव गोपाल सिंह नेगी के संयोजन से उत्तराखंडी लोकगीतों का कार्यक्रम हुआ। उत्तराखंड के लोक कलाकारों ने पहाड़ी गीत संगीत से सबका मन मोह लिया और सबके जेहन में पहाड़ों की याद ताज़ा कर दी। उत्तराखंडी संगीत का आगुन्तकों और अतिथियों ने खूब आनंद लिया।  




उत्तराखंडी प्रकृति आधारित संस्कृति की परम्परा को कायम रखते हुए, समिति ने समारोह के आयोजन में प्लास्टिक डिस्पोजलों का बहिष्कार किया।  इससे पूर्व भी समिति अपने कार्यक्रमों में पर्यावरण का विशेष ध्यान रखती है और पहाड़ों में भी इस विषय में जनजागरूकता फैला रही है। जल्द समिति प्लास्टिक थैलियों के विक्लप के तौर पर कपड़े के थैलों का प्रचार प्रसार करेगी।   



समारोह के अंत में समिति के अध्यक्ष श्री आनंद सिंह भंडारी (सेवानिवृत सैनिक) द्वारा सभी मेहमानों का आभार व्यक्त किया गया। अपने धन्यवाद भाषण में उन्होंने देश और राज्य के विकास में उत्तराखंडियों की भूमिका को सराहा और उत्तराखंड में बुनियादी शिक्षा, स्वास्थ्य एवं रोजगार की सुविधा जुटाने और उसे बेहतर बनाने के लिए युवा शक्ति को अपना योगदान देने के लिए आह्वान किया।  

चौथान मिलन समारोह के अवसर पर समिति के सभी वरिष्ठ पदाधिकारी श्री बासवानन्द ढौंडियाल, श्री पूरन रमोला, श्री हरिदत्त ममगाईं, श्री आनंद भंडारी, श्री भगीरथ ढौंडियाल, श्री उम्मेद भुलानी, श्री पान सिंह राणा, श्री देवीदत्त ममगाईं, श्री हरीश डुंगरियाल, श्री मोहन पटवाल, श्री धन सिंह बिष्ट, श्री शिवम पोखरियाल, श्री पदम नेगी, श्री मनमोहन चौधरी, श्री उम्मेद बिष्ट, श्री चन्दन गुसाईं, श्री दिलबर भंडारी, श्री बच्ची रावत, श्री शाकम रमोला, श्री सुरेंद्र भंडारी, श्री संदीप पंत, श्री गोपाल नेगी, श्री काम सिंह रावत, श्री हेमंत काला, श्री आनंद गुसाईं, श्री ब्रिज मोहन नौगाईं, श्री सुरेंद्र सिंह चौधरी, श्री केदार रावत, श्री पान सिंह रावत, पप्पू सिंह रावत, नन्द किशोर ढौंढियाल और अन्य सभी सदस्य उपस्थित थे। इस समारोह में लगभग पांच सौ से अधिक उत्तराखंडीयों ने भाग लिया। समारोह के आयोजन में समिति के युवाओं ने बढ़ चढ़कर भाग लिया और इस दिवस को एक यादगार समारोह बनाया।  


चौथान दर्पण  स्मारिका के बारे में :- अपने पांच वर्षों के कार्य अनुभवों का संकलन करते हुए, समिति ने "चौथान दर्पण" नामक स्मारिका तैयार की है। विस्मरणीय लेखों और विहंगम चलचित्रों के माध्यम से "चौथान दर्पण" अपने आप में चौथान की आधारभूत जानकारियों, महान विभूतियों की जीवनियों, समृद्ध सांस्कृतिक विरासत, सामाजिक जीवन, पर्यटक स्थलों, स्वरोजगार के विकल्पों , प्राकृतिक छटा की झलकियों को समेटे हुए है।  मातृभूमि चौथान से अगाध लगाव रखने वाले युवाओं के अथक, सतत प्रयासों का परिणाम यह स्मारिका चौथान पट्टी का प्रथम जनसाहित्य होने के साथ साथ एक अहम दस्तावेज भी है।  समिति को पूरा विश्वास है कि यह स्मारिका आने वाले समय में "चौथान दर्पण" स्थानीय निवासियों समेत राज्य और देशवासियों को चौथान पट्टी से परिचित कराने में बहुपयोगी साबित होगी।   


चौथान के बारे में :- उत्तराखंड के पौड़ी गढ़वाल जिले में चौथान पट्टी स्थित है। यह क्षेत्र थैलीसैण विकासखंड के अंतर्गत आता है और चमोली तथा अल्मोड़ा जिले से सटा हुआ है।  सन 1890 में  चौथान पट्टी  का गठन  चौपड़ाकोट को विभाजित करके हुआ है। चौथान  चौन गांव से  चौ और थान गांव से थान मिलकर बना है ।  चौथान पट्टी  के पूर्व में  लोहबा , पश्चिम में चौपड़ाकोट / ढौंडियालस्यु  और उत्तर में दूधातोली  की महान  मनमोहक पर्वत श्रृंखला तथा दक्षिण में  चौकोट पट्टी आती है , इसमें  72 गांव और  29 ग्राम सभाये है I वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार चौथान पट्टी की कुल जनसँख्या 13869 है। इस पट्टी का कुल क्षेत्रफल 6592. 337 हेक्टेयर है जिसमें से कुल 647. 279 हेक्टेयर वनाच्छादित है। यहाँ की कुल 1844. 494 हेक्टेयर भूमि पर कृषि कार्य होता है। कृषि भूमि का कुल 171.028 संचित है जबकि 1673.466 हेक्टेयर भूमि असिंचित है।


समिति के बारे में:-  दूधातोली आरक्षित वन क्षेत्र के आंचल में बसने के कारण, चौथान पट्टी वन और जल सम्पदा से समृद्ध है। बिंदेश्वर महादेव का प्राचीन मंदिर भी यहाँ स्थित है। चौथान पट्टी में स्थित, मासों गांव पेशावर क्रांति नायक वीर चन्द्र सिंह गढ़वाली की जन्मभूमि है। परन्तु यहाँ शिक्षा, चिकित्सा की जैसी बुनियादी सुविधाओं की स्थिति अत्यंत चिंताजनक है।  रोजगार अवसरों के अभाव के चलते, क्षेत्र से युवा शक्ति का पलायन भी एक गंभीर समस्या बन चुका है।चौथान पट्टी में चहमुखी विकास के उद्देश्य को लेकर दिसंबर 2014 में वीर चन्द्र सिंह गढ़वाली चौथान विकास समिति का गठन किया गया।  चौथान के युवाओं के सपने, संघर्ष और सोच का साकार रूप है, यह समिति मातृभूमि चौथान में, शिक्षा, स्वास्थ्य की समुचित सुविधाओं को उपलब्धता हेतू प्रयासरत और उत्तराखंडी प्रकृति -संस्कृति  संरक्षण के उद्देश्यों को समर्पित है।  स्थानीय प्रशासन और जनता के सहयोग से समिति पिछले पांच वर्षों से चौथान में शिक्षा, चिकित्सा, सड़क, परिवहन की बुनियादी सुविधाओं को जुटाने और उनकी स्थिति में सुधार हेतु प्रयासरत है। पहाड़ की नैसर्गिक प्रकृति को समझते हुए, समिति सरकार द्वारा प्रायोजित लघु एवं स्वरोजगार की योजनाओं का समर्थन करती है और पहाड़ से पलायन रोकने के लिए इन्हें बढ़ावा देने का हमेशा प्रयास करती है।    


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